नाटक-एकाँकी >> बहू अक्स पहेली बहू अक्स पहेलीत्रिपुरारी शर्मा
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लेखिका ने नारी के परंपरागत बिम्बों और उसके प्रति पुरुष-दृष्टि को लेकर आवश्यक रूप से कई विचारणीय सवाल उठाए हैं।
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी त्रिपुरारी शर्मा के दो महत्वपूर्ण नाटक हैं ‘बहू’ और ‘अक्स पहेली’। ‘बहू’ सामंती संस्कारों से जर्जर ग्रामीण समाज में विधवा हो गई एक युवती की निजी और पारिवारिक स्थिति का मर्मस्पर्शी दस्तावेज है। अपने सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को जीवंत करते हुए नाटक का सर्वाधिक प्रेरक पहलू है बहू के चरित्र का सार्थक विद्रोह। दूसरो कि कमाई पर मुतियाते और अपनी वंश-मर्यादा का ढोंग करते परिवार से उसका मोहभंग अंततः उसे उन लोगों से जोड़ता है जो अपनी मेहनत पर जिन्दा रहते हैं। दूसरा नाटक ‘अक्स पहेली’ आज की मध्यवर्गीय नारी के मानसिक और बौद्धिक द्वंद्व को उकेरता है। कैकेयी, सीता और लैला भारतीय नारी के उत्कृष्ट परम्पसंगत बिम्ब हैं, जिन्हें एक डायरेक्टर आधुनिक सन्दर्भ देना चाहता है। रिहर्सल के दौरान जब तीन अभिनेत्रियाँ इन चरित्रों को जीना चाहती हैं तो उनसे उनके अपने जीवन-संदर्भो कि टकराहट होने लगती है। इस स्थिति में लेखिका ने नारी के परंपरागत बिम्बों और उसके प्रति पुरुष-दृष्टि को लेकर आवश्यक रूप से कई विचारणीय सवाल उठाए हैं।
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